इस गिरोह ने प्रत्येक अभ्यर्थी से 5 से 7 लाख रु. लेकर नकल कराई थी। नर्सिग ग्रेड सैकंड परीक्षा का पेपर आउट होने के मामले में अक्टूबर 2010 में गिरफ्तार हुए तीन आरोपियों ने यह खुलासा किया था। हालांकि, वे जमानत मिलने के बाद से फरार हैं, लेकिन पुलिस ने उनसे हुए खुलासे के आधार पर शुक्रवार को सोडाला थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया है।
बड़ा सवाल यह है कि जब 2010 में ही इस मामले का पता चल गया था तो पुलिस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? यदि उस वक्त सबूत नहीं होने की मजबूरी थी तो अब उसके हाथ क्या लग गया? वही डेढ़ साल पुराने बयान हैं, जो तब भी थे। फिर आरोपियों के फरार होने और आरएएस की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद मामला दर्ज करने का मतलब क्या?
सोडाला थाना पुलिस के अनुसार नर्सिग ग्रेड सैकंड भर्ती परीक्षा 10 अक्टूबर 2010 को हुई थी। इसी दिन सांचोर निवासी जगदीश विश्नोई, पुखराज चौधरी तथा भूपेंद्र करधनी इलाके में परीक्षा से पहले पेपर बेच रहे थे। एसओजी की टीम ने तीनों को पकड़ लिया था।
तीनों आरोपियों ने पूछताछ में बताया था कि रामनगर, सोडाला स्थित सुपर किंग स्कूल के व्यवस्थापक शैलेंद्र चौधरी से दो लाख रु. में आरएएस परीक्षा-2010 के सामान्य ज्ञान, इतिहास एवं लोक प्रशासन के पेपरों का सौदा किया था। परीक्षा से पहले सामान्य ज्ञान एवं इतिहास का पेपर उन्हें मिल गया। इसके लिए उन्होंने शैलेंद्र को 55 हजार रु. दिए थे। तीनों आरोपियों ने अभ्यर्थियों को नकल कराई और हर एक से पांच से सात लाख रु. तक वसूले थे।
हालांकि वे यह नहीं बता पाए कि अभ्यर्थी कौनसे थे। आरोपियों से पूछताछ के आधार पर एक साल तक तो जांच ही चलती रही अब करधनी थाने के सब इंस्पेक्टर भगवान सहाय ने जगदीश विश्नोई, शैलेंद्र चौधरी तथा विक्रम नाम के व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। विक्रम के बारे में भी पूछताछ के दौरान कुछ जानकारियां मिली हैं।
जमानत मिली तो शिक्षक भर्ती में नकल कराने पहुंच गया
नर्सिग ग्रेड सैकंड परीक्षा में नकल कराने के मामले में जगदीश विश्नोई को जेल भेज दिया गया था। बाद में उसकी जमानत मंजूर कर ली गई। गत वर्ष अध्यापक ग्रेड सैकंड भर्ती परीक्षा में उसका नाम फिर सामने आ गया। बजाज नगर पुलिस ने यह परीक्षा शुरू होने से तीन घंटे पहले उसके तीन साथी गणपतराम, भजनलाल एवं जालिम सिंह को गिरफ्तार किया। इनके पास से नकल कराने के लिए माइक्रो ब्लूटूथ, शर्ट में लगे डिवाइस बरामद किए गए। जगदीश व उसका साथी भूपेंद्र फरार हो गया। जगदीश अब भी फरार है।
अब तो नियुक्तियां भी हो गईं
राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव डॉ. केके पाठक ने कहा कि आयोग के स्तर पर आरएएस 2010 की संवीक्षा परीक्षा तथा इंटरव्यू के बाद चयन प्रक्रिया का काम पूरा हो गया है। सरकार के स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया भी संपन्न करा दी गई है। पुलिस ने जो मुकदमा दर्ज किया है, उसकी रिपोर्ट, फाइंडिंग्स देखे बिना इस मामले में कुछ नहीं कहा जा सकता।
अब क्या?
अगर साबित हो जाता है कि पेपर लीक हुआ था तो भी परीक्षा रद्द नहीं हो सकती। न ही नियुक्त लोगों को हटाया जा सकता है। जो लोग नौकरी पर लग गए हैं, उन्हें राइट टु वर्क का संवैधानिक अधिकार मिल गया है। किसी की मिलीभगत सामने आती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जरूर होगी।
-जहूर अहमद नकवी, पूर्व चेयरमैन, बार काउंसिल
आरएएस परीक्षा 2012 नए पैटर्न से क्यों नहीं : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने आरएएस भर्ती परीक्षा-2012 को लेकर शनिवार को प्रमुख कार्मिक सचिव व आरपीएससी सचिव को नोटिस जारी किया है। इनसे पूछा गया है कि यह परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तर्ज पर नए पैटर्न से क्यों नहीं ली जा रही? इस संबंध में ज्ञान सिंह व अन्य ने याचिका लगाई थी। उनका कहना था कि राज्य सरकार ने वर्ष 2013 से यूपीएससी के अनुसार आरएएस प्रतियोगी परीक्षा नए पैटर्न से कराने का निर्णय लिया है। नए पैटर्न में सभी परीक्षार्थियों को समान प्रश्नपत्र हल करना होगा। शेष त्न पेज १३
अन्य राज्यों में इस सत्र से ही नया पैटर्न लागू कर दिया गया है, जबकि आरपीएससी प्रदेश में वर्ष 2012 के लिए पुराने पैटर्न से ही परीक्षा करा रहा है। यह परीक्षा नए पैटर्न से ही कराई जानी चाहिए।
निशक्तजन के पद सामान्य से न भरें
आरएएस भर्ती 2010 के एक मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह निशक्तजन के लिए आरक्षित पदों को सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से नहीं भरे। साथ ही हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, प्रमुख कार्मिक सचिव व आरपीएससी को नोटिस जारी किए। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक ने यह अंतरिम आदेश बसंत सिंह चौहान की याचिका पर दिया। याचिका में आरएएस व अधीनस्थ सेवाओं के 26 पदों पर सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से भरने की कार्रवाई को चुनौती दी थी।
source-bhaskar.com
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